Wednesday, December 29, 2010

पैगाम

आज फिर आयी ज़िंदगी लेकर मेरे नाम का खत,
मेरी साँसे है बहुत तेरे पैगाम फक़त

खत मे लिपटी हुई तेरी खुशबू आई
खत मे थी एक कली मुरझाई
तेरे खत मे मेरा नाम था धुँधला-धुँधला
तेरी आखों से उसे प्यार का आँसू था मिला
प्यार पाते धुधलाते मेरे नाम का खत


खत मे लिखी थी जवानी मेरी
नाम था मेरा पर लिखी कहानी तेरी
उस कहानी मे ना कोई आँसू था ना कोई गम था
ना थी मुरझाई कली कोई ना कोई खत था
उस कहानी मे ना थी साँसे पर ज़िंदगी थी बहुत.

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