Saturday, May 14, 2011

थोड़ी राह देखूंगा मैं
थोड़ी राह जाऊंगा मैं
तेरे पास आऊंगा मैं वहां

शामें जहाँ हो अधूरी
रात में हो थोड़ी दुरी
चाहे जहाँ साथ ना हो
साथ तेरा है ज़रूरी

थोड़ी रीत निभाऊंगा
थोड़ी प्रीत निभाऊंगा
तेरे पास मैं आऊंगा वहां

थोड़ी थोड़ी यादें लेकर
थोड़ी ग़म की रातें लेकर
लम्हे जिंदगी के चुराकर
खुश हु मैं तुम्हे पाकर

तुम्हे युही चाहुंगा
तुम्हे युही पाऊंगा
तेरे पास मैं आऊंगा वहां

अब तो आ जाओ तुम

अब तो आ जाओ तुम शाम ढल जाएगी
तुम न आए तो ग़म में बदल जाएगी

कितनी मासूम है तमन्ना ये मेरी
बेरुखी से तुम्हारी ये जल जाएगी

ज़िन्दगी बांधती कुछ लकीरें सी है
तुम ने चाह तो ये भी बदल जाएगी

कैसे ख़त में करोगी मेरा शुक्रिया
पातियाँ आते आते बदल जाएगी