ghazal
मेरी कुछ रचनायें आप सभी के लिए
Wednesday, June 29, 2011
देखा तुम्हे तो मुझको लगा आइना हो तुम
ख्वाब हो हकीकत हो बोलो क्या हो तुम
तुमको तो जानते है सारे शहर के लोग
घर किस गली में है रहते कहाँ हो तुम
ऐ यार लूटते हो सारे जहाँ का दिल
अपना दिल छुपा कर रखते कहाँ हो तुम
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