Saturday, October 29, 2011

ख्वाब

ख्वाब देखा या तेरा चेहरा देखा
राज़ नजरों से कोई गहरा देखा

उनकी नजरों को जानता हु मैं
जिन पर जुल्फों का पहरा देखा

मिलते ही नाम बताया उसने
हमने उसको इस तरह देखा

मैंने देखा उसे उसके जाने तक
यारों ने वक्त को ठहरा देखा

1 comment: