Sunday, August 11, 2013

रात भर

पिघली है साथ मेरे, वो शमा रात भर
रोशन हुआ है मेरा , जहाँ रात भर

छूकर उसे चली जो हवा, मदहोश हो गई
फैली थी उसकी खुशबू ,यहाँ रात भर

देखा जो माहताब ने, तो सितारों से कह दिया
बातें जहाँ से छुपती , ये कहाँ रात भर