शाम ले आओ तुम जाम ले आयें हम ज़िन्दगी की ये महफ़िल सज जाएगी
चाहे कुछ ना कहो यूँ ही बैठी रहो वक्त की ये नदी यूँ ही थम जाएगी
जब मुखातिब रहो कुछ मुनासिब रहो मुस्कराहट से सोचो क्या होगा बयां
तुम छुपाती रहो दिल के जज्बात को पर तुम्हारी हसी सब ये कह जाएगी
दिल के जज्बात को इन से कर दो बयां ये फूल और परिंदे सभी है गवाह
लोट कर अपने घर जो परिंदे गए शाम भी अपने घर को चली जाएगी
Vakta hai kam yahan, banane ko aashiyan, in baharon ki khushiyan na rahengi sada
ReplyDeleteTum na kaho sahi, ik na ik din magar, bahati nadiya ye saagar hi me mil jayegi
shaam, naam har aayam khathm hone ko bana hai yahan
ReplyDeletejee len zindagi is pal ke phir umr dhal jayegi
Rohan