Saturday, October 29, 2011

ख्वाब

ख्वाब देखा या तेरा चेहरा देखा
राज़ नजरों से कोई गहरा देखा

उनकी नजरों को जानता हु मैं
जिन पर जुल्फों का पहरा देखा

मिलते ही नाम बताया उसने
हमने उसको इस तरह देखा

मैंने देखा उसे उसके जाने तक
यारों ने वक्त को ठहरा देखा

Sunday, October 16, 2011

उनकी नजरों का असर नहीं होता
क्या करे अब सबर नहीं होता

दिल है मुश्ताक उनसे कहने को
क्या करें पर जिगर नहीं होता

उनकी बातों में ज़िक्र मेरा है
क्या करें इश्क मगर नहीं होता

जाम छुता तो है होठो से
क्या करें कुछ असर नहीं होता

Wednesday, October 5, 2011

सफ़र

कहाँ ले चली हमें जिंदगी
कहाँ ले चले हमको अपने दीवाने
गुज़रती रही उन राहों पर
जहाँ पर कभी थे अपने ठिकाने

कभी तो थे मौसम घटाओ से नम
कभी तो बहारों पर छाए थे हम
जो गुज़रे कभी ख्वाबों से हम
हकीकत बने जाने कितने फ़साने

कभी साथ अपने साए चले
कभी चलते चलते रात ढले
सफ़र की कोई मंजिल नहीं
बस कुछ नए ढूंढ़ लेते बहाने

Sunday, July 3, 2011

मुहब्बत

तुमने मुहब्बत को छुपाया तो नहीं
पर मेरा नाम गैरों को बताया तो नहीं

ये तो रिश्तो को भी समझते है सौदा
खो दिया खुद को कुछ भी पाया तो नहीं

तुमने सारी कबूल की शर्तें
रिश्ता लेकिन कोई बनाया तो नहीं

Wednesday, June 29, 2011

देखा तुम्हे तो मुझको लगा आइना हो तुम
ख्वाब हो हकीकत हो बोलो क्या हो तुम

तुमको तो जानते है सारे शहर के लोग
घर किस गली में है रहते कहाँ हो तुम

ऐ यार लूटते हो सारे जहाँ का दिल
अपना दिल छुपा कर रखते कहाँ हो तुम

Saturday, May 14, 2011

थोड़ी राह देखूंगा मैं
थोड़ी राह जाऊंगा मैं
तेरे पास आऊंगा मैं वहां

शामें जहाँ हो अधूरी
रात में हो थोड़ी दुरी
चाहे जहाँ साथ ना हो
साथ तेरा है ज़रूरी

थोड़ी रीत निभाऊंगा
थोड़ी प्रीत निभाऊंगा
तेरे पास मैं आऊंगा वहां

थोड़ी थोड़ी यादें लेकर
थोड़ी ग़म की रातें लेकर
लम्हे जिंदगी के चुराकर
खुश हु मैं तुम्हे पाकर

तुम्हे युही चाहुंगा
तुम्हे युही पाऊंगा
तेरे पास मैं आऊंगा वहां

अब तो आ जाओ तुम

अब तो आ जाओ तुम शाम ढल जाएगी
तुम न आए तो ग़म में बदल जाएगी

कितनी मासूम है तमन्ना ये मेरी
बेरुखी से तुम्हारी ये जल जाएगी

ज़िन्दगी बांधती कुछ लकीरें सी है
तुम ने चाह तो ये भी बदल जाएगी

कैसे ख़त में करोगी मेरा शुक्रिया
पातियाँ आते आते बदल जाएगी

Monday, April 18, 2011

कुत्ते की दुम

हम और तुम कुत्ते की दुम
टेढ़ी कतार लगाएं खड़े है
अपनी ही दुम के पीछे पड़े है

चाहते है दुम को काटें और दर्द हो तो चाटें
काटते है चाटते है दर्द अपना बाँटते है

दुम पर अपनी घाव है पर काटने का चाव है
काटने मैं दर्द है घाव कितना सर्द है

कुछ भी हो नहीं अब दुम को काटेंगे
नहीं अब अपने ही काटे को चाटेंगे

कुछ भी हो नहीं अब घाव हम देंगे
दुम कितनी भी लहराए नहीं अब भाव हम देंगे

चाहे दुम झुके या दुम ही तन जाये
चाहे दुम हिले या दुम ही लहराए

चाहे हो दुम हमारी कितनी भी मोटी
कितनी भी लम्बी कितनी भी छोटी

दुम हमारी है दुम को कैसे काटेंगे
दुम हमारी है दुम को कैसे काटेंगे

इस दुम को न काटा
तो किस काटे को चाटेंगे

फरियाद

मिल जाओ अगर तो है मुश्किल हम देखें तुम्हे के याद करें
याद आओ अगर तो मुमकिन है हम रोएं और फरियाद करें

यादें तेरी सुलगा सुलगा क्यों खोएं अपनी साँसों को
हम भूल कर तुमको ए सनम फिर दिल अपना आबाद करें

ये सासें रह रह चलती है और याद तेरी आ जाती है
ये खेल पुराना ख़त्म करें और मौत की हम फरियाद करें

शाम ले आओ तुम

शाम ले आओ तुम जाम ले आयें हम ज़िन्दगी की ये महफ़िल सज जाएगी
चाहे कुछ ना कहो यूँ ही बैठी रहो वक्त की ये नदी यूँ ही थम जाएगी

जब मुखातिब रहो कुछ मुनासिब रहो मुस्कराहट से सोचो क्या होगा बयां
तुम छुपाती रहो दिल के जज्बात को पर तुम्हारी हसी सब ये कह जाएगी

दिल के जज्बात को इन से कर दो बयां ये फूल और परिंदे सभी है गवाह
लोट कर अपने घर जो परिंदे गए शाम भी अपने घर को चली जाएगी