ghazal
मेरी कुछ रचनायें आप सभी के लिए
Sunday, October 16, 2011
उनकी नजरों का असर नहीं होता
क्या करे अब सबर नहीं होता
दिल है मुश्ताक उनसे कहने को
क्या करें पर जिगर नहीं होता
उनकी बातों में ज़िक्र मेरा है
क्या करें इश्क मगर नहीं होता
जाम छुता तो है होठो से
क्या करें कुछ असर नहीं होता
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